चल चलें : कविता

चल चलें - कविता - offbeatexplorers

चल चलें नदी किनारेकि रात घनी हो गयीसुकून होगा थोड़ा वहांमशक्कत दिन की अब कम होगी ऐसा करउधेड़बुन का बक्सा रख देअहाते की अलमारी मेंऔर संदूक भीतर जो बंद हैसुकून का झोलाउससे तू उठा ले चलेंगे फिरहौले क़दमों सेकिनारे किनारेकहीं देख कर साफ़ सा पत्थररात की चादर बिछा लेंगेचाँद की रोशनी की रुई बना लेंगेऔर […]

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आधे-अधूरे कुछ पूरे: कविता

Aadhe Adhure Kuchch Poore - Hindi Kavita

रात की फुरसत मेंकरेंगे चांद से जब गूफ्तगूतो हौसला बांध करबताऊंगा तुझे मैंख्वाब अधूरा कल जो मैंने बुना थाआधा-जागा आधा-सोयागीत पुराना फिर जो सुना था, सितारों की बुनकर टिमटिमाहटडबडबाई अपनी आंखों सेतू भी बताना मुझेअहाते में तूने अपनेकिस चिड़िया की गूंज सुनी थीऔर घर की चौखट पे बैठकहानियां कल जो तूने बुनी थी मीलों दूरकैद […]

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फितरत: कविता

फितरत - एक कविता है उनके ज़ज़्बे की जो कभी हार नहीं मानते। उनके लिए जिनकी आदत ही होती है अंतिम दम तक लड़ने की, संघर्ष करने की।

ऐसा नहीं कि मुद्दा समझ नहीं आता,या बदलते हालात का इल्म नहीं है मुझे ।   पर हार मान लूँ ये फितरत में नहीं, और यूँ ही जाने दूँ ये मेरी ख़सलत नहीं ।   ना हर्ज़ मुझे मिटटी फांकने काऔर ना ही धूल खाने का है,एक दफा तो ज़ोर आजमाइश करूंगा ही,अंजाम चाहे जो भी हो। Image Ref – Please Click Here. […]

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ख्वाबों की चादर: कविता

ख्वाबों की चादर - कविता उन सबके लिए है जिनके अरमान और ख़्वाब कहीं बाजार में बिक गए। कब उनके ख्वाबों का मोल लगा उन्हें पता ही नहीं चला।

कुछ ख्वाबों की कत्तरें जोड़ करमैंने एक चादर बनाई थी,सोचा थाकि फुरसत के लम्हों मेंरूह को आराम दूंगा। पर पसंद आ गई वो लोगों कोअरमानों के बाज़ार में और उस दिन से मैंचादरों का दुकानदार बन गया, अब पैसा बहुत हैऔर चादरें भी भरी पड़ी है,कुछ नहीं है तो,बस चैन के दो लम्हे,थोड़ी सी फुरसतऔर […]

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