कुछ ख्वाबों की कत्तरें जोड़ कर
मैंने एक चादर बनाई थी,
सोचा था
कि फुरसत के लम्हों में
रूह को आराम दूंगा।
पर पसंद आ गई वो लोगों को
अरमानों के बाज़ार में
और
उस दिन से मैं
चादरों का दुकानदार बन गया,
अब पैसा बहुत है
और चादरें भी भरी पड़ी है,
कुछ नहीं है तो,
बस चैन के दो लम्हे,
थोड़ी सी फुरसत
और
पुराने वो ख्वाब।।
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पैसा भी बहुत है बस चैन के दो लम्हे नहीं है बहुत खूब