रात की फुरसत मेंकरेंगे चांद से जब गूफ्तगूतो हौसला बांध करबताऊंगा तुझे मैंख्वाब अधूरा कल जो मैंने बुना थाआधा-जागा आधा-सोयागीत पुराना फिर जो सुना था, सितारों की बुनकर टिमटिमाहटडबडबाई अपनी आंखों सेतू भी बताना मुझेअहाते में तूने अपनेकिस चिड़िया की गूंज सुनी थीऔर घर की चौखट पे बैठकहानियां कल जो तूने बुनी थी मीलों दूरकैद […]
कविता
एहसास: कविता
आज सुबह सेअज़ीब सा एहसास है ऐसा लग रहा है कि मैं गंगा में तैर रहा हूँ हरिद्वार वाली गंगा नहीं,इलाहाबाद वाली जो शांत है बस बहे चली जा रही है और मैं तट की हलचल से कोसो दूर उल्टा लेटन जाने कब से आसमान को निहार रहा हूँ एकटक अकेले एक लाश की तरह – एकदम मौन, एकदम स्थिर ।। Click here to read all my poems […]
ख्वाबों की चादर: कविता
कुछ ख्वाबों की कत्तरें जोड़ करमैंने एक चादर बनाई थी,सोचा थाकि फुरसत के लम्हों मेंरूह को आराम दूंगा। पर पसंद आ गई वो लोगों कोअरमानों के बाज़ार में और उस दिन से मैंचादरों का दुकानदार बन गया, अब पैसा बहुत हैऔर चादरें भी भरी पड़ी है,कुछ नहीं है तो,बस चैन के दो लम्हे,थोड़ी सी फुरसतऔर […]
कठपुतली: कविता
लम्हों को कठपुतली बना लिया,उंगलियों पे अपने उन्हें नचा लिया,धागों में बांध ली ज़िन्दगी कि तुम अपने कलाकार बन गए। यह मंच भी तुम्हाराऔर कहानी भी लिखी तुमनेकिरदार भी तुमने चुनेकि तुम अपने कथाकार बन गए। उंगलियों के चलने से बनी कहानीकि कहानी के बनने से चली उंगलियांधागों के इस जोड़ में कठपुतलियां थिरक रहीकि […]