आधे-अधूरे कुछ पूरे: कविता

Aadhe Adhure Kuchch Poore - Hindi Kavita

रात की फुरसत मेंकरेंगे चांद से जब गूफ्तगूतो हौसला बांध करबताऊंगा तुझे मैंख्वाब अधूरा कल जो मैंने बुना थाआधा-जागा आधा-सोयागीत पुराना फिर जो सुना था, सितारों की बुनकर टिमटिमाहटडबडबाई अपनी आंखों सेतू भी बताना मुझेअहाते में तूने अपनेकिस चिड़िया की गूंज सुनी थीऔर घर की चौखट पे बैठकहानियां कल जो तूने बुनी थी मीलों दूरकैद […]

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फितरत: कविता

फितरत - एक कविता है उनके ज़ज़्बे की जो कभी हार नहीं मानते। उनके लिए जिनकी आदत ही होती है अंतिम दम तक लड़ने की, संघर्ष करने की।

ऐसा नहीं कि मुद्दा समझ नहीं आता,या बदलते हालात का इल्म नहीं है मुझे ।   पर हार मान लूँ ये फितरत में नहीं, और यूँ ही जाने दूँ ये मेरी ख़सलत नहीं ।   ना हर्ज़ मुझे मिटटी फांकने काऔर ना ही धूल खाने का है,एक दफा तो ज़ोर आजमाइश करूंगा ही,अंजाम चाहे जो भी हो। Image Ref – Please Click Here. […]

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कठपुतली: कविता

Kathputli Hindi Poem

लम्हों को कठपुतली बना लिया,उंगलियों पे अपने उन्हें नचा लिया,धागों में बांध ली ज़िन्दगी कि तुम अपने कलाकार बन गए। यह मंच भी तुम्हाराऔर कहानी भी लिखी तुमनेकिरदार भी तुमने चुनेकि तुम अपने कथाकार बन गए। उंगलियों के चलने से बनी कहानीकि कहानी के बनने से चली उंगलियांधागों के इस जोड़ में कठपुतलियां थिरक रहीकि […]

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