ऐ चांद !
तुझ पर कितनी कविताएं लिखी गई हैं
और कितने फसाने गढ़े गए हैं,
आज
मैं ना कुछ लिखूंगा
ना कुछ कहूंगा
बस
साथ रहेंगे,
थोड़ी देर बैठेंगे
कुछ बात नहीं करेंगे
चुपचाप
रात की रफ्तार से परे
अपनी खामोशी में
वक़्त कुछ गुजारेंगे,
वह भी
जब तक मन करेगा
तब तक।
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