सिगरेट के धुंए-सा: कविता - A Hindi poem about love being so intoxicating as if cigarette smoke that goes through lips and stays in

सिगरेट के धुंए-सा: कविता

मैं आदी हूँ तेरा, तेरे लबों का इस कदर,
कि सिगरेट के धुएँ सा तू मुझे पिये जाए,
छु लूँ तेरी तड़फ को, तेरे हर ज़ज्बात को,
कि कश-दर-कश भीतर तू मुझे लिये जाए ।

तेरी बेचैनी, तेरे हर मसले की दवा मैं बन जाऊं,
कि हर साँस में गहरा जो तुझमें मैं बसता जाऊं,
आधा हिस्सा मेरा जो ज़िद्द पकड़ बैठे,
तो जिस्म में वो तेरे दफ़न हो जाये ।
और दूजा जो निकल हवा में मिटे,
वो छूता वो होंठो को तेरे जाए । ।


Click here to read all my poems

Picture Reference 

(Seems link has expired. Searched but could not find this image again online)

Happy to have your comments