चल चलें नदी किनारेकि रात घनी हो गयीसुकून होगा थोड़ा वहांमशक्कत दिन की अब कम होगी ऐसा करउधेड़बुन का बक्सा रख देअहाते की अलमारी मेंऔर संदूक भीतर जो बंद हैसुकून का झोलाउससे तू उठा ले चलेंगे फिरहौले क़दमों सेकिनारे किनारेकहीं देख कर साफ़ सा पत्थररात की चादर बिछा लेंगेचाँद की रोशनी की रुई बना लेंगेऔर […]
Poems
आधे-अधूरे कुछ पूरे: कविता
रात की फुरसत मेंकरेंगे चांद से जब गूफ्तगूतो हौसला बांध करबताऊंगा तुझे मैंख्वाब अधूरा कल जो मैंने बुना थाआधा-जागा आधा-सोयागीत पुराना फिर जो सुना था, सितारों की बुनकर टिमटिमाहटडबडबाई अपनी आंखों सेतू भी बताना मुझेअहाते में तूने अपनेकिस चिड़िया की गूंज सुनी थीऔर घर की चौखट पे बैठकहानियां कल जो तूने बुनी थी मीलों दूरकैद […]
एहसास: कविता
आज सुबह सेअज़ीब सा एहसास है ऐसा लग रहा है कि मैं गंगा में तैर रहा हूँ हरिद्वार वाली गंगा नहीं,इलाहाबाद वाली जो शांत है बस बहे चली जा रही है और मैं तट की हलचल से कोसो दूर उल्टा लेटन जाने कब से आसमान को निहार रहा हूँ एकटक अकेले एक लाश की तरह – एकदम मौन, एकदम स्थिर ।। Click here to read all my poems […]
चांद के साथ: कविता
ऐ चांद !तुझ पर कितनी कविताएं लिखी गई हैंऔर कितने फसाने गढ़े गए हैं,आजमैं ना कुछ लिखूंगाना कुछ कहूंगा बससाथ रहेंगे,थोड़ी देर बैठेंगेकुछ बात नहीं करेंगेचुपचाप रात की रफ्तार से परेअपनी खामोशी में वक़्त कुछ गुजारेंगे, वह भीजब तक मन करेगातब तक। Image Ref – Please Click Here. Click here to read all my poems