चल चलें : कविता

चल चलें - कविता - offbeatexplorers

चल चलें नदी किनारेकि रात घनी हो गयीसुकून होगा थोड़ा वहांमशक्कत दिन की अब कम होगी ऐसा करउधेड़बुन का बक्सा रख देअहाते की अलमारी मेंऔर संदूक भीतर जो बंद हैसुकून का झोलाउससे तू उठा ले चलेंगे फिरहौले क़दमों सेकिनारे किनारेकहीं देख कर साफ़ सा पत्थररात की चादर बिछा लेंगेचाँद की रोशनी की रुई बना लेंगेऔर […]

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आधे-अधूरे कुछ पूरे: कविता

Aadhe Adhure Kuchch Poore - Hindi Kavita

रात की फुरसत मेंकरेंगे चांद से जब गूफ्तगूतो हौसला बांध करबताऊंगा तुझे मैंख्वाब अधूरा कल जो मैंने बुना थाआधा-जागा आधा-सोयागीत पुराना फिर जो सुना था, सितारों की बुनकर टिमटिमाहटडबडबाई अपनी आंखों सेतू भी बताना मुझेअहाते में तूने अपनेकिस चिड़िया की गूंज सुनी थीऔर घर की चौखट पे बैठकहानियां कल जो तूने बुनी थी मीलों दूरकैद […]

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एहसास: कविता

Ehsaas Hindi Kavita by Amar Deep Singh

आज सुबह सेअज़ीब सा एहसास है ऐसा लग रहा है कि मैं गंगा में तैर रहा हूँ हरिद्वार वाली गंगा नहीं,इलाहाबाद वाली जो शांत है बस बहे चली जा रही है और मैं तट की हलचल से कोसो दूर उल्टा लेटन जाने कब से आसमान को निहार रहा हूँ एकटक   अकेले एक लाश की तरह –  एकदम मौन, एकदम स्थिर ।।   Click here to read all my poems […]

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चांद के साथ: कविता

चांद पर एक और कविता

ऐ चांद !तुझ पर कितनी कविताएं लिखी गई हैंऔर कितने फसाने गढ़े गए हैं,आजमैं ना कुछ लिखूंगाना कुछ कहूंगा बससाथ रहेंगे,थोड़ी देर बैठेंगेकुछ बात नहीं करेंगेचुपचाप   रात की रफ्तार से परेअपनी खामोशी में वक़्त कुछ गुजारेंगे, वह भीजब तक मन करेगातब तक।     Image Ref – Please Click Here. Click here to read all my poems

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