अंतहीन पृष्ठभूमि,
कालिमविहीन छवि,
औचित्यहीन प्रश्न…..
ध्वनि कुछ यों गूँज उठी –
“चलो, प्रश्न उठा तो,
विकास को आधार मिल गया |”
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अंतहीन पृष्ठभूमि,
कालिमविहीन छवि,
औचित्यहीन प्रश्न…..
ध्वनि कुछ यों गूँज उठी –
“चलो, प्रश्न उठा तो,
विकास को आधार मिल गया |”
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