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प्रश्‍न: कविता | Offbeat Explorers
अंतहीन पृष्ठभूमि,कालिमविहीन छवि,औचित्यहीन प्रश्‍न….. ध्वनि कुछ यों गूँज उठी –“चलो, प्रश्‍न उठा तो,विकास को आधार मिल गया |” Click here to read all my poems