फितरत: कविता

फितरत - एक कविता है उनके ज़ज़्बे की जो कभी हार नहीं मानते। उनके लिए जिनकी आदत ही होती है अंतिम दम तक लड़ने की, संघर्ष करने की।

ऐसा नहीं कि मुद्दा समझ नहीं आता,या बदलते हालात का इल्म नहीं है मुझे ।   पर हार मान लूँ ये फितरत में नहीं, और यूँ ही जाने दूँ ये मेरी ख़सलत नहीं ।   ना हर्ज़ मुझे मिटटी फांकने काऔर ना ही धूल खाने का है,एक दफा तो ज़ोर आजमाइश करूंगा ही,अंजाम चाहे जो भी हो। Image Ref – Please Click Here. […]

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