Kathputli Hindi Poem

कठपुतली: कविता

लम्हों को कठपुतली बना लिया,
उंगलियों पे अपने उन्हें नचा लिया,
धागों में बांध ली ज़िन्दगी
कि तुम अपने कलाकार बन गए।

यह मंच भी तुम्हारा
और कहानी भी लिखी तुमने
किरदार भी तुमने चुने
कि तुम अपने कथाकार बन गए।

उंगलियों के चलने से बनी कहानी
कि कहानी के बनने से चली उंगलियां
धागों के इस जोड़ में
कठपुतलियां थिरक रही
कि थिरकने से उनके उंगलियां तुम्हारी मचल रही।

भांप लो,
संदेह में तो तुम नहीं,
कहीं स्वप्न में हो
तो खुद को कचोट लो,
कहानी बनाने का तुम्हे भ्रम हो,
पर खेल रहा तुमसे,
कोई कलाकार हो ।

कहानी किसी और की हो
और कथाकार सामने देख रहा सब खेल हो,
उसके चेहरे पे एक चटक मुस्कान हो
कि तुम तो बस एक पात्र हो,
तनिक से एक किरदार हो
नाच रहे उसकी धुन पे
धागों में बंधे,
कहानी में धंसे,
कठपुतली मात्र हो ।।


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