फितरत: कविता

फितरत - एक कविता है उनके ज़ज़्बे की जो कभी हार नहीं मानते। उनके लिए जिनकी आदत ही होती है अंतिम दम तक लड़ने की, संघर्ष करने की।

ऐसा नहीं कि मुद्दा समझ नहीं आता,या बदलते हालात का इल्म नहीं है मुझे ।   पर हार मान लूँ ये फितरत में नहीं, और यूँ ही जाने दूँ ये मेरी ख़सलत नहीं ।   ना हर्ज़ मुझे मिटटी फांकने काऔर ना ही धूल खाने का है,एक दफा तो ज़ोर आजमाइश करूंगा ही,अंजाम चाहे जो भी हो। Image Ref – Please Click Here. […]

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ख्वाबों की चादर: कविता

ख्वाबों की चादर - कविता उन सबके लिए है जिनके अरमान और ख़्वाब कहीं बाजार में बिक गए। कब उनके ख्वाबों का मोल लगा उन्हें पता ही नहीं चला।

कुछ ख्वाबों की कत्तरें जोड़ करमैंने एक चादर बनाई थी,सोचा थाकि फुरसत के लम्हों मेंरूह को आराम दूंगा। पर पसंद आ गई वो लोगों कोअरमानों के बाज़ार में और उस दिन से मैंचादरों का दुकानदार बन गया, अब पैसा बहुत हैऔर चादरें भी भरी पड़ी है,कुछ नहीं है तो,बस चैन के दो लम्हे,थोड़ी सी फुरसतऔर […]

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कठपुतली: कविता

Kathputli Hindi Poem

लम्हों को कठपुतली बना लिया,उंगलियों पे अपने उन्हें नचा लिया,धागों में बांध ली ज़िन्दगी कि तुम अपने कलाकार बन गए। यह मंच भी तुम्हाराऔर कहानी भी लिखी तुमनेकिरदार भी तुमने चुनेकि तुम अपने कथाकार बन गए। उंगलियों के चलने से बनी कहानीकि कहानी के बनने से चली उंगलियांधागों के इस जोड़ में कठपुतलियां थिरक रहीकि […]

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