सिगरेट के धुंए-सा: कविता

सिगरेट के धुंए-सा: कविता - A Hindi poem about love being so intoxicating as if cigarette smoke that goes through lips and stays in

मैं आदी हूँ तेरा, तेरे लबों का इस कदर,कि सिगरेट के धुएँ सा तू मुझे पिये जाए,छु लूँ तेरी तड़फ को, तेरे हर ज़ज्बात को,कि कश-दर-कश भीतर तू मुझे लिये जाए । तेरी बेचैनी, तेरे हर मसले की दवा मैं बन जाऊं,कि हर साँस में गहरा जो तुझमें मैं बसता जाऊं,आधा हिस्सा मेरा जो ज़िद्द […]

Continue reading


कुछ शेष नहीं: कविता

कुछ शेष नहीं: कविता - A Hindi poem about our lives and the way we live (Nothing is left)

सारी  राहमेरा जीवनआकांक्षाओं की आग में जलता रहाऔरपरिवेश की भट्टी में धधकता रहाराख बनता रहा । अंतत:जब मैं घर पहुंचातो सब कुछजल कर ख़ाक हो चुका था,बाकी थी तोराख के ऊपर पड़ीकुछ काली, जली हड्डियाँ,मैंने उन्हें भी इकठ्ठा कियाऔर गँगा में बहा दिया । नि:संदेह, अब कुछ शेष नहीं था ॥ Click here to read all my […]

Continue reading