कठपुतली: कविता

Kathputli Hindi Poem

लम्हों को कठपुतली बना लिया,उंगलियों पे अपने उन्हें नचा लिया,धागों में बांध ली ज़िन्दगी कि तुम अपने कलाकार बन गए। यह मंच भी तुम्हाराऔर कहानी भी लिखी तुमनेकिरदार भी तुमने चुनेकि तुम अपने कथाकार बन गए। उंगलियों के चलने से बनी कहानीकि कहानी के बनने से चली उंगलियांधागों के इस जोड़ में कठपुतलियां थिरक रहीकि […]

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कोई गिला नहीं तुझसे: कविता

कोई गिला नहीं तुझसे: कविता Tinder Poem/Break-up Poem

कोई गिला नहीं तुझसेबस जहन से अपने अबतुझे खारिज़ कर दिया | वक़्त के राहगीर थे,कुछ बातों के बाशिंदे थे,तुमने गुफ्तगू कीअपनी तसल्ली की दरकार तक,फिर मूडी तुमऔर निकल पड़ी अपनी राह पर, कुछ रोज़ पहले तकबहाने ढूँढा करती थीलम्हे साथ बिताने कोऔर उस दफ़ातू चल पड़ीवजह एक न थीमुड़कर निगाहें मिलाने को | तड़फ़ तेरी रही कुछ रोज़नहीं, कुछ अरसे […]

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