सारी राहमेरा जीवनआकांक्षाओं की आग में जलता रहाऔरपरिवेश की भट्टी में धधकता रहाराख बनता रहा । अंतत:जब मैं घर पहुंचातो सब कुछजल कर ख़ाक हो चुका था,बाकी थी तोराख के ऊपर पड़ीकुछ काली, जली हड्डियाँ,मैंने उन्हें भी इकठ्ठा कियाऔर गँगा में बहा दिया । नि:संदेह, अब कुछ शेष नहीं था ॥ Click here to read all my […]
Kavita
नकाबों की दुनिया: कविता
आज महाशय पहली बार उनसेमिलने जा रहे हैं,इसीलिये नकाब पहनाऔर जा दस्तक दे दी उनके द्वार । दस्तक सुन वो भी भाँप गएकि आया है कोई नया मेहमां ।ज़नाब ने भी नकाब पहनाऔर द्वार खोल दिया।नकाब ने नकाब का स्वागत किया,नकाब नकाब से गले मिलाऔर नकाब की हँसी का जवाब भीनकाब ने कुछ इसी तरह […]