कोई गिला नहीं तुझसेबस जहन से अपने अबतुझे खारिज़ कर दिया | वक़्त के राहगीर थे,कुछ बातों के बाशिंदे थे,तुमने गुफ्तगू कीअपनी तसल्ली की दरकार तक,फिर मूडी तुमऔर निकल पड़ी अपनी राह पर, कुछ रोज़ पहले तकबहाने ढूँढा करती थीलम्हे साथ बिताने कोऔर उस दफ़ातू चल पड़ीवजह एक न थीमुड़कर निगाहें मिलाने को | तड़फ़ तेरी रही कुछ रोज़नहीं, कुछ अरसे […]
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पुरानी चिट्ठियाँ: कविता
सालों से बंद संदूक मेंवो तह लगे खत,कुछ पोस्टकार्ड, कुछ इनलैंडऔर कुछ लिफाफेकिताबों के नीचे दबी यें पुरानी चिट्ठियाँ,बड़ी संजीदगी से मानोमैने कुछ यादों को संजोया था,कुछ अफ़सानें बटोरे थे,तो कुछ फ़लसफ़े खोज़ लिए थे| पंखे की हवा में जो ये फड़फड़ाईकि मुझे किसी की हँसीतो किसी की मुस्कुराहट याद आई |और कुछ में नमी जो […]
प्रश्न: कविता
अंतहीन पृष्ठभूमि,कालिमविहीन छवि,औचित्यहीन प्रश्न….. ध्वनि कुछ यों गूँज उठी –“चलो, प्रश्न उठा तो,विकास को आधार मिल गया |” Click here to read all my poems
ज़िंदगी का देवता: कविता
जब जब तेरे चेहरे नेहँसी के मुखोटे पहने,तब तब इस जग नेतुझको सराहा | पर शोक रहा तो बस इतनाकी जग की इन अँधी आँखों नेतेरा मधुर हास तो देखापर अंतर में छिपा गहरा विराग न देखा,तेरा ठिठोलापन तो देखापर उस कचोटती पीड़ा को न देखाजिसने तुझे मृत बना दिया है | मैं जानता हूँ –ऐ ज़िंदगी […]