
सारी राहमेरा जीवनआकांक्षाओं की आग में जलता रहाऔरपरिवेश की भट्टी में धधकता रहाराख बनता रहा । अंतत:जब मैं घर पहुंचातो सब कुछजल कर ख़ाक हो चुका था,बाकी थी तोराख के ऊपर पड़ीकुछ काली, जली हड्डियाँ,मैंने उन्हें भी इकठ्ठा कियाऔर गँगा में बहा दिया । नि:संदेह, अब कुछ शेष नहीं था ॥ Click here to read all my […]