एहसास: कविता

Ehsaas Hindi Kavita by Amar Deep Singh

आज सुबह सेअज़ीब सा एहसास है ऐसा लग रहा है कि मैं गंगा में तैर रहा हूँ हरिद्वार वाली गंगा नहीं,इलाहाबाद वाली जो शांत है बस बहे चली जा रही है और मैं तट की हलचल से कोसो दूर उल्टा लेटन जाने कब से आसमान को निहार रहा हूँ एकटक   अकेले एक लाश की तरह –  एकदम मौन, एकदम स्थिर ।।   Click here to read all my poems […]

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चांद के साथ: कविता

चांद पर एक और कविता

ऐ चांद !तुझ पर कितनी कविताएं लिखी गई हैंऔर कितने फसाने गढ़े गए हैं,आजमैं ना कुछ लिखूंगाना कुछ कहूंगा बससाथ रहेंगे,थोड़ी देर बैठेंगेकुछ बात नहीं करेंगेचुपचाप   रात की रफ्तार से परेअपनी खामोशी में वक़्त कुछ गुजारेंगे, वह भीजब तक मन करेगातब तक।     Image Ref – Please Click Here. Click here to read all my poems

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