2456/N I could not think of any other number in my life that carries so much emotions, feelings, memories and stories as this 4-digit number. It has been close to 15 years since I was last at Ghorakhal and things have changed a lot over time. I have gone almost bald (though I still look […]
Author: Amar Deep Singh
सिगरेट के धुंए-सा: कविता
मैं आदी हूँ तेरा, तेरे लबों का इस कदर,कि सिगरेट के धुएँ सा तू मुझे पिये जाए,छु लूँ तेरी तड़फ को, तेरे हर ज़ज्बात को,कि कश-दर-कश भीतर तू मुझे लिये जाए । तेरी बेचैनी, तेरे हर मसले की दवा मैं बन जाऊं,कि हर साँस में गहरा जो तुझमें मैं बसता जाऊं,आधा हिस्सा मेरा जो ज़िद्द […]
कुछ शेष नहीं: कविता
सारी राहमेरा जीवनआकांक्षाओं की आग में जलता रहाऔरपरिवेश की भट्टी में धधकता रहाराख बनता रहा । अंतत:जब मैं घर पहुंचातो सब कुछजल कर ख़ाक हो चुका था,बाकी थी तोराख के ऊपर पड़ीकुछ काली, जली हड्डियाँ,मैंने उन्हें भी इकठ्ठा कियाऔर गँगा में बहा दिया । नि:संदेह, अब कुछ शेष नहीं था ॥ Click here to read all my […]
नकाबों की दुनिया: कविता
आज महाशय पहली बार उनसेमिलने जा रहे हैं,इसीलिये नकाब पहनाऔर जा दस्तक दे दी उनके द्वार । दस्तक सुन वो भी भाँप गएकि आया है कोई नया मेहमां ।ज़नाब ने भी नकाब पहनाऔर द्वार खोल दिया।नकाब ने नकाब का स्वागत किया,नकाब नकाब से गले मिलाऔर नकाब की हँसी का जवाब भीनकाब ने कुछ इसी तरह […]