आधे-अधूरे कुछ पूरे: कविता

Aadhe Adhure Kuchch Poore - Hindi Kavita

रात की फुरसत मेंकरेंगे चांद से जब गूफ्तगूतो हौसला बांध करबताऊंगा तुझे मैंख्वाब अधूरा कल जो मैंने बुना थाआधा-जागा आधा-सोयागीत पुराना फिर जो सुना था, सितारों की बुनकर टिमटिमाहटडबडबाई अपनी आंखों सेतू भी बताना मुझेअहाते में तूने अपनेकिस चिड़िया की गूंज सुनी थीऔर घर की चौखट पे बैठकहानियां कल जो तूने बुनी थी मीलों दूरकैद […]

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एहसास: कविता

Ehsaas Hindi Kavita by Amar Deep Singh

आज सुबह सेअज़ीब सा एहसास है ऐसा लग रहा है कि मैं गंगा में तैर रहा हूँ हरिद्वार वाली गंगा नहीं,इलाहाबाद वाली जो शांत है बस बहे चली जा रही है और मैं तट की हलचल से कोसो दूर उल्टा लेटन जाने कब से आसमान को निहार रहा हूँ एकटक   अकेले एक लाश की तरह –  एकदम मौन, एकदम स्थिर ।।   Click here to read all my poems […]

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ख्वाबों की चादर: कविता

ख्वाबों की चादर - कविता उन सबके लिए है जिनके अरमान और ख़्वाब कहीं बाजार में बिक गए। कब उनके ख्वाबों का मोल लगा उन्हें पता ही नहीं चला।

कुछ ख्वाबों की कत्तरें जोड़ करमैंने एक चादर बनाई थी,सोचा थाकि फुरसत के लम्हों मेंरूह को आराम दूंगा। पर पसंद आ गई वो लोगों कोअरमानों के बाज़ार में और उस दिन से मैंचादरों का दुकानदार बन गया, अब पैसा बहुत हैऔर चादरें भी भरी पड़ी है,कुछ नहीं है तो,बस चैन के दो लम्हे,थोड़ी सी फुरसतऔर […]

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कठपुतली: कविता

Kathputli Hindi Poem

लम्हों को कठपुतली बना लिया,उंगलियों पे अपने उन्हें नचा लिया,धागों में बांध ली ज़िन्दगी कि तुम अपने कलाकार बन गए। यह मंच भी तुम्हाराऔर कहानी भी लिखी तुमनेकिरदार भी तुमने चुनेकि तुम अपने कथाकार बन गए। उंगलियों के चलने से बनी कहानीकि कहानी के बनने से चली उंगलियांधागों के इस जोड़ में कठपुतलियां थिरक रहीकि […]

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